Ridima Hotwani

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लेखनी प्रतियोगिता -07-Dec-2021

लेखनी दैनिक काव्य-कविता प्रतियोगिता

विषय:: सुबह

शीर्षक:: नवल किरण


नवल किरण

गगन के सीने से उन्मुदित
खिलखिलायी जो धरा के आंचल में,

आफताब की पहली उज्जवल-धवल, "नवल किरण"
आलोकित हो उठा, प्रकृति का कण-कण,

बंद कलियाँ, खोलने लगी आंखें
चूं चूं करती चिड़ियां दाना ढूंढने को,

आतुर हुईं भरने को ,अपनी नयी उड़ाने
राग-मल्हारों ने भी छेड़ दिये अपने अलमस्त सुर,

आलस तोड़, बिस्तर अपना छोड़
मानव भी बढ़ने लगा अपने गंतव्य को,

चल पड़ा चक्का मानव का
ज्यूं हीं उमड़ी सुबह की भोर,

नवल धवल सी किरण अब
अपने विस्तृत रुप में है,

जग भी अब अपने ही शोरगुल में है गुम
कोलाहल छाया है हर ओर,

आफताब ढल रहा है अब
गंतव्य पथ से लौट रहा प्राणी

चुन कर आशातीत सफलता
पुनः अपने घर की ओर

रात की घड़ी ने अपनी बाँहें फैंलायी हैं
थककर चूर हुए जो, निहाल हैं अब

ओढ़ने को नींद का गहरा आगोश
अनवरत चलता रहेगा गगन-धरा का,

जग को "नव किरण" से जागृत करने का
ये न्यारा सा कुदरत का "प्रकृतिक संजोग" ।।
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रिदिमा होतवानी
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प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टी 🙏

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9 Comments

Sunanda Aswal

09-Dec-2021 08:19 AM

बहुत सुंदर

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Abhilasha sahay

08-Dec-2021 07:42 PM

Very beautiful 👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

08-Dec-2021 05:59 PM

बहुत खूबसूरत

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